एक ऐसा शहर जहाँ 2 महीने का होता है दिन और 1.5 महीने की होती है रात

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एक ऐसा शहर जहाँ 2 महीने का होता है दिन और 1.5 महीने की होती है रात - आज बात करते हैं एक ऐसे शहर की जहां के दिन दो महीने लंबे होते हैं और जहां काली रात डेढ़ महीने तक रहती है। इस शहर का नाम मरमंस्क है जो कि रशिया में है।

ये शहर आर्क्टिक सर्कल पर बसा हुआ है। आर्क्टिक सर्कल पर बसा हुआ ये शहर दुनिया के सबसे सुदूर इलाकों में से नहीं है। यहां ट्रैवल करना आसान है और साथ ही साथ यहां कई टूरिस्ट भी आते है।

अगर हम सोच कर देखे कि दोपहर का दो बज रहा हो और बाहर ऐसा अंधेरा हो जैसे अमावस पर होता है या फिर रात के दो बज रहे हों और मई की दोपहर की तरह आकाश में सूरज चमक रहा हो तो कैसा महसूस हो।

ऐसा हाल यहाँ के मौसम का। कुछ लोगो ने यहां के दिन और रात दोनों में अपना समय बिताया और देखा कि असल में मरमंस्क की जिंदगी कैसी है।

दो महीनो तक नहीं होती रात।

एक ऐसा शहर जहाँ 2 महीने का होता है दिन और 1.5 महीने की होती है रात।


जब लंबी गर्मियां मरमंस्क में आती हैं तो यहां दिन और रात को महसूस नहीं किया जा सकता। सूरत का तापमान तेज रहता है और लोग अपने हिसाब से दिन और रात को महसूस ही नहीं कर सकते।

फोटोग्राफर Sergey Ermokhin का कहना है कि वो रात में दो बजे (जब सूरज चढ़ा हुआ था) टहल रहे थे और उन्हें भूख लगने लगी, उनके शरीर के हिसाब से तो वो बिलकुल दिन की तरह ही था ।

और इसके बाद उन्हें बहुत दिक्कत हुई क्योंकि वहां के लोगों के हिसाब से तो रात हो रही थी और दुकानें खुली नहीं थी। ये वो जगह है जहां सूरज डूबता ही नहीं है बल्कि आसमान चक्कर लगाता रहता है।

रात में 2 बजे का नजारा

एक ऐसा शहर जहाँ 2 महीने का होता है दिन और 1.5 महीने की होती है रात।

नॉर्थ रशिया में साल को पोलर दिन और पोलर रात में विभाजित किया जाता है और क्योंकि दिन दो महीनो तक लंबा होता है (22 मई से 22 जुलाई तक) तो उस समय लोगों को अच्छी खासी समस्या होती है। वहाँ के लोगों से बात करने पर Sergey को पता चला।

 कि वो अपने घरों में मोटे पर्दे लगाकर रखते है ताकि अँधेरा महसूस हो सके। अगर रात में कोई बच्चा जाग जाता हैं तो उन्हें बेहद दिक्कत होती है ये समझाने में कि वो असल में दिन में नहीं बल्कि आधी रात में उठा हैं।

सभी होटलों में भी मोटे पर्दे लगे होते हैं ताकि वहां आने वाले पर्यटकों को कोई दिक्कत न हो। साल के अधिकतर समय ठंड में रहने के कारण जब इस शहर में गर्मियां आती हैं तो लोगों को सनबर्न की शिकायत हो जाती है।

भले ही तापमान ज्यादा बढ़ता नहीं है, लेकिन ऐसा होता है।मरमंस्क में सूरज ढलता नहीं है बस आस्मान में घूमता रहता है।

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कई बार तो ऐसा लगता है कि पार्टी कर रहे लोगों को ये नहीं पता होता दिन के 11 बज रहे हैं या रात के। वहाँ के लोगों का कहना था कि पोलर दिन के समय इलेक्ट्रिसिटी की कीमत बहुत कम हो जाती है।

क्योंकि न ही हीटरों का ज्यादा इस्तेमाल होता है और न ही बत्ती जलाने की जरूरत पड़ती है. पर जितना भी बचता है वो सब कुछ पोलर रात में बह जाता है।

एक ऐसा शहर जहाँ 2 महीने का होता है दिन और 1.5 महीने की होती है रात

रात ऐसी जहाँ उजाला ही ना हो।

सबसे खतरनाक होती है मरमंस्क की पोलर रात। जब मरमंस्क की लंबी गर्मियां खत्म होती है तो कड़ाके वाली ठंड आती है मरमंस्क में साल के अधिकतर समय सर्दियां ही रहती हैं।


लेकिन अक्टूबर के बाद ऐसा समय आता है जब सूरज उगता ही नहीं है। सोच कर देखिए -35 डिग्री का तापमान और 40 दिनों तक सूरज ही नहीं। यही वजह है कि मरमंस्क को Sunless city (बिना सूरज वाला शहर) कहा जाता।

मरमंस्क की रात में आसमान में नॉर्थन लाइट्स दिखती हैं

सोचकर देखिए कि आप दरवाजे पर ताला लगा कर चले जाए और वापस आएं तो देखें कि ताला जम गया है। यहां के लोग ताला खोलने के लिए ब्लो टॉर्च का इस्तेमाल करते हैं जिससे ताले को गर्म कर इस्तेमाल के लायक बनाया जाता है।

 यहां खेती भी नहीं की जा सकती क्योंकि यहां सूरज कई दिनों तक दिखाई नहीं देता।

एक ऐसा शहर जहाँ 2 महीने का होता है दिन और 1.5 महीने की होती है रात।

यहां खाना पीना अधिकतर जानवरों पर निर्भर करता है मरमंस्क में रशिया के सबसे बड़े समुद्री पोर्ट्स में से एक है जो वर्ल्ड वॉर 1 के समय से चला आ रहा है और इसका इस्तेमाल हमेशा किया जाता है।

ताला खोलने में नहीं करनी पड़ती मेहनत।

मरमंस्क में जब पोलर रात खत्म होती है तो लोग जश्न मनाते है। पिछले साल जब सूरज उगा था तो पहले दिन ये सिर्फ 34 मिनट के लिए रहा था। स्थानीय लोग पहाड़ पर चढ़कर सूरज उगने का जश्न मनाते हैं।

 2 दिसंबर से 11 जनवरी के बीच यहां पोलर रात होती है और यहां सूरज की एक किरण भी नहीं दिखती। 11 जनवरी के बाद जब सूरज उगना शुरू होता है तो पूरा दिखने में काफी दिन लगा देता है।

और रात का अंधेरा कभी भी हो सकता है जैसे एक दिन अगर सूरज 34 मिनट के लिए उगा तो दूसरे दिन 50 मिनट के लिए और ऐसा करते-करते पूरा दिन निकलता है और फिर शुरू होता है मई में पोलर दिन।

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