ज्यादा सोने पर भी होता है सेहत को नुकसान

Share:
ज्यादा सोने पर भी होता है सेहत को नुकसान - आपने अक्सर सुना होगा कि कम सोना सेहत के लिए हानिकारक है।

लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अधिक सोना भी सेहत के लिए उतना ही हानिकारक है। ना केवल शारीरिक बल्कि मानसिक सेहत पर भी हमें ज्यादा सोने के नुकनास झेलने पड़ते हैं।

अच्छी नींद लेना अच्छी सेहत के लिए अति आवश्यक है, फिर चाहे वो पुरूष हो या महिला। लेकिन आजकल की भागदौड भरी जिंदगी में अच्छी नींद के मायने भी बदल गये हैं।

क्योंकि आजकल अधिकतर लोग सुबह देर से उठते हैं और रात को देरी से सोते हैं। सोने का समय सही होना चाहिए।

ज्यादा सोने पर भी होता है सेहत को नुकसान

अगर आप रोज 7-8 घंटे से ज्यादा या  कम सोते तो ये  दोनों ही स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं। आइये जानते हैं किस तरह देर तक सोना कितना नुकसानदायक हो सकता हैं।

ज्यादा नीद आने का क्या कारण होता हैं?

उन लोगों के लिए जो हायपरसोमिनिया (hypersomnia) से पीड़ित हैं ओवर स्लीपिंग वास्तव में एक चिकित्सा बिकार है इस स्थिति में लोगों को दिन भर अत्यधिक नींद आती रहती है और जो सोने पर भी नहीं पूरी होती जो की मुख्य रूप से लंबे तक समय सोने का कारण भी बनती है।

बहुत से ऐसे लोग हैं जो हायपरसोमिनिया (hypersomnia) से ग्रस्त होने पर उनमें चिंता ऊर्जा की कमी और स्मृति में कमी जैसी समस्याओं के लक्षण पाए जाते हैं।

Also Read This :


ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (Obstructive sleep apnea) एक विकार है जिसमें नींद के दौरान लोगों को तेजी से सांस लेने में कठिनाई होती है और उनको जल्दी जल्दी सांस लेने की जरूरत पड़ती है जिससे उन्हें ज्यादा नींद लेने की आदत हो जाती है

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनकी नींद बीच-बीच में बातचीत होती रहती है जिससे उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती और उन्हें ज्यादा सोने की आदत हो जाती है।

निसंदेह इसमें कोई दो राय नहीं है कि हर किसी व्यक्ति को ओवर स्लीपिंग की आदत नहीं होती ओवर स्लीपिंग के अन्य संभावित कारणों में कुछ पदार्थ जैसे शराब का सेवन कुछ दवाएँ और अवसाद जैसी स्थितियां शामिल होती हैं

जो लोगों को अधिक सोने के लिए विवश करनी है इसके साथ ही कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें बहुत सोना पसंद होता है इसलिए वह ज्यादा सोते हैं।

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुई एक स्टडी में सामने आया है कि जो लोग हर रोज 9-10 घंटे सोते हैं, उन्हें भी नींद से जुड़ी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। साथ ही जो लोग 7 घंटे से कम सोते हैं उन्हें भी कई हेल्थ प्रॉब्लम्स के साथ सुबह तरोताजा होकर ना उठ पाने की समस्या का सामना करना पड़ता है।

13 वर्ष पुराने एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि जो लोग बहुत अधिक सोते हैं, उनमें कम उम्र में मौत का खतरा बढ़ जाता है। अगर आपको इस आदत के साथ ही डायबिटीज या हर्ट डिजीज भी है तो यह खतरा और अधिक बढ़ जाता है।

दिल की बीमारी का खतरा :


ज्यादा सोने पर भी होता है सेहत को नुकसान
जब भी हम देर तक सोते हैं, तो उसका सीधा खतरा हमारे दिल को होता है। स्टडी में सामने आया कि जो महिलाएं हर रोज 9 से 11 घंटे सोती हैं, उनमें 8 घंटे सोनेवाली महिलाओं की तुलना में कोरॉनरी हर्ट डिजीज होने का खतरा कहीं अधिक बढ़ जाता है।

हालांकि इसका कारण अभी तक सामने नहीं आ पाया है। यह स्टडी 72 हजार महिलाओं पर की गई।

सिरदर्द का होना :

अच्छी नींद किसे प्यारी नहीं होती, लेकिन जब हम देर तक सोते हैं, तो इसका असर हमारे ब्रेन ट्रांसमीटर पर भी पड़ता है इससे एकाग्रता की कमी और सिरदर्द की समस्या पैदा हो जाती है। तय समस से अधिक सोनेवाले लोगों में सिरदर्द की शिकायत अक्सर बनी रहती है।

ज्यादा सोने पर भी होता है सेहत को नुकसान

ऐसा ब्रेन के न्यूरोट्रांसमीटर के प्रभावित होने से होता है। जो लोग दिन में अधिक सोते हैं, उनमें यह समस्या रात में सोनेवाले लोगों की तुलना में अधिक होती है।

वजन बढ़ना :

देर तक सोने के नुकसान में वजन बढ़ना भी शामिल है। सोते समय चयापचय क्रिया यानि मेटाबॉलिज्म धीमा रहता है। शरीर बहुत कम ऊर्जा खर्च करता है। फलस्वरूप कम कैलोरी बर्न होती है। जिससे शरीर में चर्बी बढ़ने लगती है।

ज्यादा सोने पर भी होता है सेहत को नुकसान

एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि जो लोग हर दिन 9-10 घंटे या इससे भी अधिक सोते हैं, उनमें इस आदत के लगातार 6 साल तक बने रहने पर मोटापे से ग्रसित होने की संभावना 21 प्रतिशत तक अधिक होती है, उन लोगों की तुलना में जो 6 से 8 घंटे सोते हैं।

डिप्रेशन होना :

देर तक सोने वाले व्यक्ति टेंशन और डिप्रेशन का शिकार आसानी से हो जाते हैं। 9 घंटे से अधिक सोने से दिमाग की क्षमता घटती है। दिमाग सुस्त हो जाता है, जिससे शरीर की स्फूर्ति खो जाती है। हालांकि अनिद्रा की शिकायत आमतौर पर अवसाद से संबंधित होती है।

डिप्रेशन से पीड़ित लगभग 15 प्रतिशत लोग बहुत अधिक सोते हैं। अधिक सोना उनकी स्थिति को और अधिक गंभीर बना देता है। यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो पेशंट को रिकवरी में दिक्कत आती है।मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहे तो आप अनावश्यक न सोएं और आलस छोड़ें।

Also Read This :
फायदेमंद है ऐल्कॉहॉल लेकिन इन बातों का रखें ध्यान

ज्यादा सोने पर भी होता है सेहत को नुकसान


पीठ में दर्द :

जब हम देर तक सोते हैं, तो हमें अक्सर पीठ में दर्द होने लगता है क्योंकि देर तक सोने से हमारी पीठ अक्कड़ जाती है, जिससे हमें दर्द का सामना करना पड़ता है और हमारे शरीर में ब्लड फ्लो सही ठंग से नहीं होता। इसलिए हमें जल्दी बिस्तर छोड़ देना चाहिए।

प्रजनन क्षमता घटना :

ज्यादा सोने वाली महिलाओं की प्रजनन क्षमता घट जाती है। अनियमित सोने से हार्मोन स्राव और मासिक धर्म चक्र बिगड़ जाता है। इसलिए महिलाओं को समय पर सोना चाहिए और 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए।

याददाश्त कमजोर होना :

जब भी हम अधिक देर तक सोते हैं तो इसका असर हमारे दिमाग पर बहुत गहरा पड़ता है। इससे हमारी याददाश्त कमजोर होने लगती है।

मधुमेह का डर :

सेहत से जुड़े कई अध्ययनों में यह बात सामने आ चुकी है कि अधिक सोने पर भी डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

 द अमेरिकन डायबिटीज में पब्लिश हुई एक स्टडी में कहा गया है कि जो लोग अधिक समय तक सोते रहना चाहते हैं, जिनमें बेड से ना उठने की इच्छा बहुत तीव्र होती है, ऐसे लोगों में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बहुत अधिक होता है।

ज्यादा सोना टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को दुगुना कर देता है। इसलिए शरीर को एक्टिव और फिट रखें। जिससे 8 घंटे में नींद पूरी कर सकें और बीमारियों से बचें।

ज्यादा सोने पर भी होता है सेहत को नुकसान

2013 में किए गए एक क्यूबिक के अध्ययन में यह स्पष्ट रूप से पता चला है कि एक व्यक्ति जो दिन में 8 घंटे से ज्यादा समय तक सोता है वह टाइप 2 मधुमेह और कम ग्लूकोज सहिष्णुता से पीड़ित हो सकता है।

 इसके विपरीत जो लोग 7 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लेते हैं वह मधुमेह संबंधी जटिलताओं से पीड़ित होने की संभावना कम रखते हैं अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग 8 घंटे से ज्यादा सोते हैं भले ही वे शारीरिक रूप से फिट हो फिर भी उन में मधुमेह का खतरा अधिक होता है।

कब्ज की समस्या :

जब हम देर तक सोते हैं, तो हमें कब्ज, गैस आदि पेट संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

गर्भवती होने मैं मुश्किल :

2013 में एक कोरियाई शोध में किए गए अध्ययन 650 महिलाओं की टीम पर किया गया जिसमें से महिलाएं जो इन विट्रो निषेचन के दौर से गुजर रही थी उनमें से भी महिलाएं जो 7 से 8 घंटे की दैनिक नींद लेती थी।

गर्भवती होने में सफल हुए आगे की अध्ययन में यह भी सुझाव दिया गया की पर्याप्त नींद मासिक धर्म चक्र को सही करने और हार्मोन स्त्राव को प्रभावित कर सकती है हालांकि शोध मैं अभी तक नींद और बांझपन के बीच कोई सीधा संबंध नहीं पाया है फिर भी शोधकर्ताओं ने पर्याप्त नींद और गर्भवती होने के बीच एक संबंध को जोड़ने की कोशिश की है।


Best articles around the web and you may like
Newsexpresstv.in for that must read articles


Read More here

ज्यादा सोने पर भी होता है सेहत को नुकसान