Diwali से जुड़ी पौराणिक कहानियाँ

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Diwali से जुड़ी पौराणिक कहानियाँ - भारत में कई सदियों से दिवाली का त्योहारों मनाया जा रहा है। क्यों की  यहाँ सदियों से त्योहारों धूम-धाम से मानाने का रिवाज चलता आ रहा  है।

सनातन धर्म के अनुसार भारत में कुल 33 करोड़ देवी-देवता हैं। जाहिर सी  बात है जिस देश में इतने देवी-देवताओं को मन जाता है उस देश में कभी ना  कभी कोई ना कोई त्योहारों मनाया जाता है।

नवरात्रि के खत्म होने के बाद और दशहरा के दिन रावण के दहन के बाद लोग दिवाली की तैयारी में लग जाते है। दशहरा के ठी 20 दिन बाद दिवाली का त्योहार आता है।

दिवाली भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली मनाने के पीछे कई कहानिया है। आज हम आपको ऐसे ही कहानियो के बारे बताने जा रहे है।

श्री राम जी के वनवास से अयोध्या लौटने पर

सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार दिवाली के दिन ही श्री राम जी वनवास से  लौट कर अयोध्या आये थे। राम जी के अयोध्या लौटने की खुशी में दीपावली मनाई गई थी।

Diwali से जुड़ी पौराणिक कहानियाँ

मंथरा की गलत विचारों से भ्रमित होकर भरत की माता कैकई ने श्री राम को उनके पिता दशरथ से वनवास भेजने के लिए वचनबद्ध कर देती है।

मर्यादा पुरुषोत्तम राम अपने पिता के आदेश को मानते हुए अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के लिए वनवास पर निकल गए।

14 वर्ष की वनवास पूरा करने के बाद श्री राम जी अयोध्या वापस लौटे थे।  राम जी के वापस आने की खुशी में अयोध्या के लोगो ने पूरी अयोध्या नगरी में दीप जला कर खुशियां मनाई थी।

उसी समय से दिवाली का त्योहारों मनाया जाता है।

पांडवों के वापस राज्य लौटने पर

हिन्दू महाग्रंथ महाभारत के अनुसार कौरवों ने शतरंज के खेल में शकुनी मामा के चाल की मदद से पांडवों का सब कुछ जीत लिया था।

इसके साथ ही पांडवों को राज्य छोड़कर 13 वर्ष के वनवासके लिए जाना पड़ा। इसी कार्तिक अमवस्या को पांडव 13 वर्ष के वनवास से वापस लौटे थे।

पांडवों के वापस लौटने की खुशी में राज्य के लोगों ने दिये जलाकर खुशियां मनाई थी।


भगवान श्री कृष्ण के द्वारा नरकासुर राक्षस का वध करने पर

नरकासुर प्रागज्योतिषपुर नगर (जो इस समय नेपाल में है) का राजा था। उसने अपनी शक्ति से इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु आदि सभी देवताओं को परेशान कर दिया था।

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नरकासुर ने संतों और 16 हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था। जब नरकासुर का अत्याचार बढ़ गया तो देवता व ऋषिमुनि भगवान श्रीकृष्ण की शरण में गए और उनसे इस  मुक्ति की गुहार लुगाई।

भगवान ने उन्हें मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया। भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध कर देवताओं व संतों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई।

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इसी खुशी में लोगों ने दूसरे दिन अर्थात कार्तिक मास की अमावस्या को अपने घरों में दिपक जलाए। तभी से नरक चतुर्दशी तथा दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।


माता लक्ष्मी का सृष्टि में अवतार

समुंद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी जी ने अवतार लिया था।


दिवाली से जुडी पौराणिक कहानिया

लक्ष्मी जी को धन और समृद्धी की देवी माना जाता है। इसलिए इस दिन लक्ष्मी जी की विशेष पूजा होती है। दीपावली मनाने का ये भी एक मुख्य कारण है।


राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक

प्राचीन काल में राजा विक्रमादित्य एक महान सम्राट थे। मुगलों को धूल चटाने वाले विक्रमादित्य अंतिम हिंदू राजा थे।
विक्रमादित्य एक बहुत ही आदर्श और उदार राजा थे। उनके साहस और विद्वानों के संरक्षण के कारण उन्हें हमेशा याद किया जाता है। इसी कार्तिक मास की अमावस्या को उनका राज्यभिषेक हुआ था।

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दिवाली से जुडी पौराणिक कहानिया