ज्यादा साफ़ - सफाई से भी बीमारी

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ज्यादा साफ़ - सफाई से भी बीमारी - जीवाणु दो प्रकार के होते है एक अच्छे  जीवाणु - जो हमारे शरीर को स्वस्थ  रखता है जो हमे बीमारियों से लड़ने में मदत करता है और दूसरे होते है वो जीवाणु जिसके कारण हमारे शरीर में तहर - तहर की बीमारिया होती है।

अपने आस पास सफाई रखना अच्छी बात है क्यों की इससे हमारे आस पास होने वाले बैकटीरिया को पनपने से होने वाली बीमारियों को रोकते है।

ज्यादा साफ़ - सफाई से भी बीमारी

मगर कुछ लोगो में साफ़ सफाई एक सनक का रूप ले लेती है वह बार -बार हाथ होते है ,बार-बार नाहते है ,कपडे बदलते है  घर की हद से ज्यादा सफाई करते हैं। उन्हें घर के किसी भी कोने में जरा सी गंदगी बर्दाश्त नहीं होती है। वो बार-बार घर को धोते हैं।

उन्हें देखकर सबको ऐसा लगता है कि वो व्यक्ति कितना सफाई पसंद है, लेकिन हकीकत में ये एक तरह की बीमारी होती है। इसे ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर कहते हैं।

 इस तरह  की शंकाएं उन्हें बार-बार और लंबे समय तक परेशान करती रहती हैं। इस तरह बार-बार विचारों या क्रियाओं की पुनरावृत्ति से वे विचलित हो जाते हैं। और इस बेचैनी और परेशानी के चलते वे अपने रोजमर्रा के कार्यों पर एकाग्र नहीं हो पाते और उनका सामान्य जीवन अव्यवस्थित हो जाता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो उन्हें इस तरह के काम की लत पड़ जाती है।  जो कि एक गंभीर मानसिक रोग है।

ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति के दिमाग में बार-बार अनचाहे खयाल आते हैं। वह एक ही काम को बार-बार कर सकता है। मसलन, हाथ धोना, चीजों को गिनना, किसी चीज को बार-बार चेक करना आदि। रोगी के मन में किसी बात को लेकर डर, शक या असमंजस का भाव रहता है।

समस्या तो यह कि इससे पीड़ित ज्यादातर लोग यह मानने को राजी नहीं होते कि उन्हें ऐसी कोई समस्या है। हालांकि अगर वे वास्तविकता को स्वीकार कर लें, तो इलाज काफी आसान हो सकता है। इसके लक्षणों को सही समय पर पहचानना भी इलाज में काफी सहायक हो सकता है।

ज्यादा साफ़ - सफाई से भी बीमारी

ओब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर के लक्षण

 1 ऐसा कोई अनचाहा आवेश या भीतरी प्रेरणा जो बिना खुद की इच्छा के दिमाग से शुरू होती है और व्यक्ति खुद ही इसे व्यर्थ मसझता है।

2 बार-बार सफाई करना और गंदगी से डरना। ओसीडी के कारण पीड़ित में आमतौर पर सफाई और बार-बार हाथ धोने का कंपल्शन होता है।

3 शंकालु और पाप से डरने वाले लोग सोचते हैं कि यदि सब कुछ ठीक ढंग से नहीं हुआ तो कुछ बुरा हो जाएगा या वे सजा के भागी बन जाएंगे।

4 गिनती करने वाले और चीजों को व्यवस्थित करने की जॉब वाले लोग इस समस्या के होने पर ऑब्सेस्ड रहते हैं। उनमें से कुछ निश्चित संख्याओं, रंगों और 5 अरेंजमेंट को लेकर अंधविश्वास हो सकता है।

6 कीटाणुओं और गंदगी आदि के संपर्क में आने या दूसरों को दूषित कर देने का डर रहता है।

7 डर से जुड़ी चीजों को को महसूस करना जैसे, घर में कोई बाहरी व्यक्ति घुस आया है।

8 ऐसे लोगों को किसी और को नुकसान पहुंचने का डर भी रहता है।

9 धर्म या नैतिक विचारों पर पागलपन की हद तक ध्यान देना।

10 किसी चीज को भाग्यशाली या दुर्भाग्यशाली मानने का अंधविश्वास।

11 चीजों को बेवजह बार-बार जांचना, जैसे कि ताले, उपकरण और स्विच आदि।

12 बेकार की चीजें इकट्ठा करना जैसे कि पुराने न्यूजपेपर, खाने के खाली डिब्बे, टूटी हुई चीजें आदि।

चीजें बचाकर रखने की सनक

जर्नल ऑफ सायकाट्रिक रिसर्च के मुताबिक ऐसी चीजों को जमा करना या संभालकर रखना, जो खास जरूरत की न हों या बेकार हों, ओसीडी के मरीजों में देखा जाने वाला एक आम लक्षण है।

खासकर बीमारी के गंभीर होने के पहले की स्टेज में। होर्डिंग लक्षणों वाले मरीजों में दूसरी बीमारियां होने की आशंका भी अधिक होती है, जैसे कि डिप्रेशन, पीटीएसडी (एक खास तरह का फोबिया), अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिव डिसॉर्डर (ADHD), टिक्स डिसॉर्डर या बेवजह की खरीदारी का डिसॉर्डर।

यह भी हो सकता है लक्षण

लड़कियों का पीछा करना और उन्हें तरह-तरह से तंग करना कई बार लोगों के ओब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर को उजागर करता है।

ज्यादा साफ़ - सफाई से भी बीमारी

मनोचिकित्सकों का मानना है कि कई बार लोग ओब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर के शिकार होने के कारण इस तरह की हरकत करते हैं और इन्हें अपनी अस्वीकृति गवारा नहीं होती। ऐसी स्थिति में ये खतरनाक भी साबित हो सकते हैं।

ये शर्म की बात नहीं

देखिये ये काई छुपाने वाली या शर्म की बात नहीं है। कई बड़े बुद्धीजीवियों को भी इस समस्या से दो-चार होना पड़ा है। आंकड़ों पर गौर करें  तो लगभग 50 में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में ओसीडी हो सकता है।

पुरुषों और महिलाओं में इसका अनुपात लगभग समान है। यूके में लगभग 10 लाख लोग ओसीडी से पीड़ित हैं। जीव वैज्ञानिक चाल्र्स डार्विन, फ्लोरेंस नाइटिंगेल, पिल्ग्रिम प्रोग्रेस के लेखक जॉन बनियन आदि ओसीडी ग्रसित हस्तियों में से हैं।

लेकिन यदि आपका बार-बार दोहराने वाला व्यवहार आनंद देने वाला है तो यह ओसीडी नहीं होता जैसे, जुआ खेलने की आदत, शराब पीना या ड्रग्स आदि लेना आदि ओसीडी नहीं होते हैं।
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क्या हैं उपचार

ऐसी दवाइयां मौजूद हैं जो दिमाग की कोशिकाओं में सेरोटोनिन की मात्रा बढ़ाती हैं। डॉक्टर कई बार इलाज के लिए इन दवाओं को लेने की सलाह देते हैं, जिन्हें लंबे समय तक लेना होता है। कभी-कभी चिंताओं औक तनाव को दूर करने वाली दवाएं भी इनके साथ दी जाती हैं।
इसके साथ बिहेवियर थैरेपी की मदद भी ली जाती है। जिसके अंतर्गत रोगी को शांत रहने वाले व्यायाम सिखाए जाते हैं। बिहेवियर थैरेपी के तहत उसे इन विचारों से मुक्त होने के लिए कुछ तकनीकें भी सिखाई जाती हैं।

 हालांकि गंदगी संबंधी विचारों के मामले में इलाज के तौर पर रोगी को कुछ समय तक गंदगी में रखा जाता है और उससे कहा जाता है कि वह ज्यादा से ज्यादा समय तक हाथ धोने से बचे। जिस तह वह धीरे-धीरे इन विचारों से मुक्ति पाना सीख जाता है।


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