विश्व व्यापार में भारत की छलांग: भारत-UK फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का विश्लेषण

भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट: तीन साल की मेहनत का ऐतिहासिक फल - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने रच दिया नया इतिहास, जानिए भारत-ब्रिटेन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की पूरी कहानी

क्या है भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट?

भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) एक ऐसा ऐतिहासिक समझौता है जो दोनों देशों के बीच व्यापारिक दरवाजे खोलता है। इस समझौते के तहत, दोनों देशों में निर्यात-आयात पर लगने वाले टैक्स (टैरिफ) में बड़ी राहत दी गई है। यह समझौता व्यापार, निवेश, सेवाओं, शिक्षा, पर्यावरण, और सामाजिक सुरक्षा जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देगा।

India-UK Free Trade Agreement 2025 par Modi aur Starmer ne kiya historic sign

यह समझौता क्यों जरूरी था?

भारत-यूके के बीच 2021-22 में द्विपक्षीय व्यापार लगभग $36.2 बिलियन का था, लेकिन इसमें कई बाधाएँ थीं जैसे उच्च टैरिफ, सीमित बाजार पहुंच और निवेश पर संदेह। ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन को नए व्यापार साझेदारों की तलाश थी और भारत के पास अपनी अर्थव्यवस्था को वैश्विक बनाने का अवसर। यही कारण था कि इस समझौते पर तीन वर्षों तक गहन बातचीत चली।

यह कब शुरू हुआ और अब तक क्या हुआ?

  • जनवरी 2022 : भारत और ब्रिटेन के बीच FTA पर बातचीत की शुरुआत हुई।
  • 2022–2024 : ब्रिटेन में चार बार प्रधानमंत्री बदले, जिससे वार्ता कई बार अटकी।
  • फरवरी 2025 : दोनों देशों ने प्रमुख मुद्दों पर सहमति बनानी शुरू की।
  • 6 मई 2025 : भारत और यूके ने 'Agreement in Principle' पर हस्ताक्षर किए।
  • 23-24 जुलाई 2025 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन का दौरा किया और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ मिलकर Chequers में औपचारिक रूप से समझौते पर हस्ताक्षर किए।

कहां हुआ समझौता और कौन-कौन रहे शामिल?

यह ऐतिहासिक समझौता ब्रिटेन की प्रधानमंत्री निवास Chequers में 24 जुलाई 2025 को हुआ। इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने भाग लिया। इसके अलावा दोनों देशों के व्यापार और वाणिज्य मंत्री, आर्थिक सलाहकार और प्रमुख अधिकारी भी उपस्थित रहे।

इस समझौते के प्रमुख बिंदु:

  1. भारत के 99% निर्यात को ब्रिटेन में अब बिना शुल्क या बेहद कम शुल्क के प्रवेश मिलेगा।
  2. ब्रिटेन के उत्पाद जैसे- स्कॉच विस्की, लक्ज़री कारें, और मशीनें अब भारत में सस्ते दाम पर मिलेंगी।
  3. विस्की पर टैक्स 150% से घटकर 75% और फिर अगले 10 वर्षों में 40% तक हो जाएगा।
  4. इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों पर विशेष कोटा और छूट दी जाएगी।
  5. सेवाओं का आदान-प्रदान: आईटी, शिक्षा, स्वास्थ्य, और फाइनेंशियल सेक्टर में कंपनियों को नई संभावनाएं मिलेंगी।
  6. सोशल सिक्योरिटी डील: दोनों देशों में काम करने वाले लोगों को अब डबल टैक्सेशन से राहत मिलेगी।
  7. 1,800 वीज़ा प्रति वर्ष: भारत से योग शिक्षक, कलाकार, और प्रोफेशनल्स को ब्रिटेन में वीज़ा मिलेगा।

भारत को क्या लाभ?

  • भारत का वस्त्र, फार्मा, कृषि, रत्न और आभूषण जैसे सेक्टरों में निर्यात बढ़ेगा।
  • एमएसएमई, युवा उद्यमियों और किसानों को ब्रिटेन जैसा बड़ा बाजार मिलेगा।
  • भारत को यूरोपियन स्तर की व्यापार मान्यता मिलेगी।

ब्रिटेन को क्या लाभ?

  • £4.8 बिलियन की वार्षिक GDP वृद्धि का अनुमान।
  • £6 बिलियन निवेश और 2,200 नई नौकरियां।
  • ब्रिटिश कंपनियों को भारत के बड़े बाजार तक पहुंच।

भविष्य में क्या?

इस समझौते को दोनों देशों की संसदों से अनुमोदन मिलना बाकी है। यह प्रक्रिया करीब एक साल तक चल सकती है। इसके बाद समझौता प्रभाव में आएगा। साथ ही, निवेश संरक्षण (BIT) और कार्बन टैक्स (CBAM) पर बातचीत जारी है।

आलोचना और चिंताएं:

  • कुछ संगठनों ने कहा है कि यह समझौता पर्यावरण और श्रमिक अधिकारों पर समझौता करता है।
  • भारत को अभी भी ब्रिटेन के कार्बन टैक्स (CBAM) से छूट नहीं मिली है।
  • पारदर्शिता और निगरानी तंत्र पर भविष्य में विवाद हो सकते हैं।

भारत और ब्रिटेन के बीच हुआ यह फ्री ट्रेड एग्रीमेंट केवल व्यापार ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, शैक्षणिक और रणनीतिक संबंधों को भी नई ऊंचाई देगा। तीन वर्षों की बातचीत, तमाम उतार-चढ़ाव और राजनीतिक बदलावों के बावजूद यह समझौता साबित करता है कि जब दो लोकतंत्र मिलते हैं, तो वैश्विक स्तर पर बदलाव संभव होता है।

यह सिर्फ व्यापार की नहीं, विश्वास की जीत है।

और नया पुराने