शुरुआत वहां से होती है, जहाँ बचपन भूखा था...
सड़क किनारे फटे कपड़ों में दौड़ते बच्चे, ट्रैफिक सिग्नल पर हाथ फैलाते मासूम चेहरे, और कुछ छोटे हाथ जिन्हें भीख के बदले गालियाँ या अनदेखापन मिलता है—ये दृश्य हमारे शहरों में आम हो गए हैं।
लेकिन पंजाब ने इन बच्चों को सिर्फ देखा नहीं... उन्हें बचाने का संकल्प लिया।
‘ऑपरेशन जीवनज्योत’ क्या है?
पंजाब सरकार द्वारा शुरू किया गया यह एक विशेष अभियान है, जिसका उद्देश्य है:
- सड़कों पर भीख मांगने वाले या बेघर बच्चों को पहचानना
- उन्हें तुरंत सुरक्षा, भोजन, शिक्षा और सम्मानजनक जीवन देना
- मानव तस्करी, जबरन भीख और बाल अपराध के नेटवर्क को खत्म करना
अब तक के आँकड़े (21 जुलाई 2025 तक)
क्र. | विवरण | संख्या |
---|---|---|
1. | सड़क पर मिले बच्चे | 367 |
2. | स्कूल में दाखिल किए गए | 183 |
3. | आंगनवाड़ी में भेजे गए (3–6 साल) | 13 |
4. | बच्चों को सरकारी योजनाओं से जोड़ा गया | 171 |
5. | जिनका परिवार नहीं मिला, उनका DNA टेस्ट शुरू | 57 |
DNA टेस्ट की पहल: खोए हुए रिश्तों की खोज
‘ऑपरेशन जीवनज्योत-2’ के तहत 57 बच्चों का DNA परीक्षण कराया जा रहा है।
उन्हें परिवार से मिलाने की कोशिश, या यह सुनिश्चित करने के लिए कि कहीं वे मानव तस्करी या अपहरण का शिकार तो नहीं हुए।
यह एक संवेदनशील और वैज्ञानिक कदम है, जो भारत में इस तरह की पहली व्यापक पहल मानी जा रही है।
कानून भी सख्त – अब कोई मासूम इस्तेमाल नहीं होगा
सरकार ने स्पष्ट किया है कि जो भी व्यक्ति या गिरोह बच्चों से जबरन भीख मंगवाते हैं या उनका शोषण करते हैं, उन पर:
- 5 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा
- मानव तस्करी अधिनियम, बाल संरक्षण कानूनों के तहत मुकदमा
- बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए तेज़ कार्यवाही
हर बच्चा अनमोल है – कुछ सच्ची कहानियाँ
“मेरे पापा रोज़ मुझे बस स्टॉप पर भेजते थे भीख मांगने के लिए, अब मैं स्कूल जा रही हूँ।”— 7 साल की गुड़िया
“मुझे तो याद भी नहीं कि मेरा घर कहाँ है…पर आंटी ने कहा अब यही मेरा घर है और मैं पढ़ सकता हूँ”— 10 साल का समीर
इन बच्चों के चेहरे अब उम्मीद से चमक रहे हैं। पहले जो सड़कों पर हारे हुए थे, अब किताबें पकड़कर सपने देख रहे हैं।
सरकार की ईमानदार पहल की सराहना
‘ऑपरेशन जीवनज्योत’ की तारीफ:
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा
- यूनिसेफ और चाइल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन ने इसे “बेस्ट रेस्क्यू मॉडल” कहा
- कई राज्यों ने अब इसे अपनाने की योजना बनाई है
हम और आप क्या कर सकते हैं?
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किसी बच्चे को सिग्नल पर भीख मांगते देखें तो 1800-11-1400 (चाइल्डलाइन हेल्पलाइन) पर कॉल करें
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अपने आस-पास के बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करें
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अगर आप शिक्षक, डॉक्टर, या सामाजिक कार्यकर्ता हैं – तो बाल कल्याण समितियों से जुड़ें
निष्कर्ष: जब सरकार और समाज साथ आएं, तब ही बचपन बचेगा
‘ऑपरेशन जीवनज्योत’ सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं है, यह एक संवेदनशील क्रांति है।
यह उन बच्चों के लिए दूसरा जन्म है, जो सिस्टम की नजरों से छूट गए थे।
हर बच्चा जो अब स्कूल में बैठा है, वो बताता है कि अगर नीति और नीयत सच्ची हो, तो भीख से किताब तक का सफर बहुत लंबा नहीं होता।