रूस ने फिर किया हमला: कीव समेत यूक्रेन के कई शहर जल उठे

रूस-यूक्रेन युद्ध में नया मोड़

21 जुलाई 2025 की रात रूस ने एक बार फिर यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई शहरों पर भीषण हमला किया। 

इस बार यह हमला अब तक के सबसे विनाशकारी और योजनाबद्ध हवाई हमलों में से एक माना जा रहा है।

इस हमले में ड्रोन, क्रूज़ मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों का व्यापक इस्तेमाल हुआ, जिसका लक्ष्य था— यूक्रेन की ऊर्जा आपूर्ति, बंदरगाहों, रिहायशी इलाके और खाद्य भंडारण केंद्र।

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क्या हुआ 20-21 जुलाई 2025 की रात?

  • कीव: लगातार 10 से अधिक विस्फोटों की आवाज़ें शहर के कई इलाकों में सुनाई दीं।

  • ओडेसा: बंदरगाह के पास स्थित गेहूं भंडारण गोदामों को भारी नुकसान।

  • लवीव और खारकीव: मिसाइल हमलों से बिजली आपूर्ति ठप।

  • यूक्रेनी सेना का दावा: 62 ड्रोन और मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर गिरा दिया गया।

  • आग और धुएं से शहरों का आसमान ढक गया।


चश्मदीदों की दर्दनाक गवाही

"हमने बच्चों को बंकर में छिपाया, ऊपर से लगातार धमाकों की आवाजें आ रही थीं," — कीव की निवासी मारिया ओलेक्सा

"जैसे ही मिसाइल गिरी, हमारी बिल्डिंग हिल गई। हम किसी तरह भागकर जान बचा पाए," — खारकीव के निवासी रोमन इवोशेंको


रूस की रणनीति: क्यों हो रहा है इतना तीव्र हमला?

विशेषज्ञों के अनुसार रूस:

  • यूक्रेन की सर्दियों से पहले ऊर्जा व्यवस्था को नष्ट करना चाहता है।

  • बंदरगाहों को निशाना बनाकर अनाज निर्यात को बाधित कर रहा है।

  • युद्ध के तीसरे वर्ष में मनोवैज्ञानिक दबाव बनाकर यूक्रेन को बातचीत की मेज़ पर लाना चाहता है।


अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

  • संयुक्त राष्ट्र ने इसे "निहत्थे नागरिकों के खिलाफ जघन्य हमला" करार दिया।

  • अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों की तैयारी शुरू की है।

  • नाटो ने यूक्रेन को अतिरिक्त वायु रक्षा प्रणाली देने की घोषणा की है।


क्या शांति संभव है?

हालांकि युद्ध अब तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है, लेकिन राजनयिक स्तर पर बातचीत ठप है

ज़ेलेंस्की सरकार ने फिर से दोहराया है कि शांति तभी संभव है जब रूस यूक्रेन की संप्रभुता को मान्यता दे।


21 जुलाई 2025 की रात ने यूक्रेन को फिर से झकझोर दिया।

जहां एक ओर रूस अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन कर रहा है, वहीं यूक्रेन अपनी जमीनी हिम्मत और अंतरराष्ट्रीय समर्थन के बल पर डटा हुआ है।

यह युद्ध कब थमेगा, इसका जवाब तो समय देगा—but the world is watching, and history is recording.

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