Hottest Chilli Carolina Reaper दुनिया की सबसे तीखी मिर्च
Hottest Chilli Carolina Reaper दुनिया की सबसे तीखी मिर्च - भारत की 'भूत जोलकिया' को दुनिया की सबसे तीखी मिर्च माना जाता है।
लेकिन America की Carolina Reaper ने इसे काफी पीछे छोड़ दिया है और गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करा लिया है।
America की Pacar Butt Paper Company इसे उगा रही है। यह मिर्च काफी हद तक भूत जोलकिया जैसी ही दिखती है। आगे से मोटी और पीछे से बिच्छू की पूंछ जैसी।
यह दुनिया की सबसे तीखी मिर्च है या नहीं इस पर काफी वक्त से विवाद रहा है। पिछले चार साल से इस पर टेस्ट होते रहे हैं।
अब आखिरकार गिनीज बुक ने सभी विवाद खत्म करते हुए इसे अपनी सूची में जगह दे दी है।
लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि किसी भी मिर्च के बारे में यह बात साफ साफ नहीं कही जा सकती, क्योंकि तीखापन मिर्च के जेनेटिक ढांचे पर निर्भर करता है और इस बात पर भी कि उसे कहां उगाया जा रहा है।
यही वजह है कि भूत जोलकिया के अलावा भारत की नागा मिर्च और दोरसे नागा भी दुनिया की सबसे तीखी मिर्चों में शुमार है।
किसी भी चीज के तीखेपन को SHU में ही मापा जाता है।शून्य का मतलब फीकापन।एसएचयू जितना ज्यादा, तीखापन भी उतना ही खतरनाक।
एक आम मिर्च का एसएचयू करीब 5,000 होता है. टेस्ट किए गए गुच्छे में एक मिर्च तो ऐसी भी थी जिसमें 22 लाख एसएचयू पाया गया।बाजार में मिलने वाले पेपर स्प्रे में करीब 20 लाख एसएचयू होता है।
इसके लिए उन्होंने चीनी और पानी का एक घोल तैयार किया और फिर उसमें मिर्च का रस मिलाया।फिर वह उसे चखते और तब तक घोल में चीनी बढ़ाते रहते जब तक मिर्च का स्वाद पूरी तरह खत्म ना हो जाए।
जाहिर है कि मिर्च जितनी ज्यादा तीखी होगी, घोल में उतनी ही ज्यादा चीनी की जरूरत होगी और ऐसे तैयार हुई एसएचयू यूनिट।
अब मशीनें यह काम करती हैं और वैज्ञानिकों को अपनी जीभ जलाने की जरूरत नहीं पड़ती।
दरअसल मिर्च में एक Capsaicinoids नाम का रसायन होता है, जो तीखेपन के लिए जिम्मेदार होता है।
कैरोलाइना रीपर के मालिक एड करी इस रिकॉर्ड से बहुत खुश हैं।
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लेकिन America की Carolina Reaper ने इसे काफी पीछे छोड़ दिया है और गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करा लिया है।
America की Pacar Butt Paper Company इसे उगा रही है। यह मिर्च काफी हद तक भूत जोलकिया जैसी ही दिखती है। आगे से मोटी और पीछे से बिच्छू की पूंछ जैसी।
यह दुनिया की सबसे तीखी मिर्च है या नहीं इस पर काफी वक्त से विवाद रहा है। पिछले चार साल से इस पर टेस्ट होते रहे हैं।
अब आखिरकार गिनीज बुक ने सभी विवाद खत्म करते हुए इसे अपनी सूची में जगह दे दी है।
लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि किसी भी मिर्च के बारे में यह बात साफ साफ नहीं कही जा सकती, क्योंकि तीखापन मिर्च के जेनेटिक ढांचे पर निर्भर करता है और इस बात पर भी कि उसे कहां उगाया जा रहा है।
कहाँ-कहाँ मिलती है तीखी मिर्च
भारत, थाईलैंड और एशिया के अन्य देशों में आम तौर पर मिर्च काफी तीखी होती है, जबकि ठंडे देशों में ऐसा नहीं है।यही वजह है कि भूत जोलकिया के अलावा भारत की नागा मिर्च और दोरसे नागा भी दुनिया की सबसे तीखी मिर्चों में शुमार है।
कैसे नापा मिर्च का तीखापन
2012 में साउथ कैरोलाइना की Winthrop University ने इस मिर्च के गुच्छे में 15,69,300 SHU यानि Scoville Heat Unit Pie ।किसी भी चीज के तीखेपन को SHU में ही मापा जाता है।शून्य का मतलब फीकापन।एसएचयू जितना ज्यादा, तीखापन भी उतना ही खतरनाक।
एक आम मिर्च का एसएचयू करीब 5,000 होता है. टेस्ट किए गए गुच्छे में एक मिर्च तो ऐसी भी थी जिसमें 22 लाख एसएचयू पाया गया।बाजार में मिलने वाले पेपर स्प्रे में करीब 20 लाख एसएचयू होता है।
मिर्ची का तीखापन नापने की क्या तकनीक
Pharmacist Wilbur Skovil (फार्मेसिस्ट विलबर स्कोवील) ने करीब सौ साल पहले तीखापन नापने का यह तरीका इजाद किया था।इसके लिए उन्होंने चीनी और पानी का एक घोल तैयार किया और फिर उसमें मिर्च का रस मिलाया।फिर वह उसे चखते और तब तक घोल में चीनी बढ़ाते रहते जब तक मिर्च का स्वाद पूरी तरह खत्म ना हो जाए।
जाहिर है कि मिर्च जितनी ज्यादा तीखी होगी, घोल में उतनी ही ज्यादा चीनी की जरूरत होगी और ऐसे तैयार हुई एसएचयू यूनिट।
अब मशीनें यह काम करती हैं और वैज्ञानिकों को अपनी जीभ जलाने की जरूरत नहीं पड़ती।
दरअसल मिर्च में एक Capsaicinoids नाम का रसायन होता है, जो तीखेपन के लिए जिम्मेदार होता है।
अब वैज्ञानिक इस रसायन को मिर्च से अलग कर लेते हैं और फिर Liquid Chromatography नाम की तकनीक से इसकी सही मात्रा को जांच लेते हैं. इसके बाद एक फार्मूला इसे SHU में बदल देता है।
कैरोलाइना रीपर के मालिक एड करी इस रिकॉर्ड से बहुत खुश हैं।
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50 साल के एड करी के दोस्तों का कहना है कि वे उन्हें जब से जानते हैं तब से मिर्च को ले कर उनकी दीवानगी को देख रहे हैं।
अमेरिका में जहां लोग बहुत मसालेदार खाना नहीं खाते हैं, वहां तीखा पसंद करने वालों की संख्या बढ़ रही है।पिछले पांच साल में तीखी मिर्च की खपत आठ फीसदी बढ़ गयी है।
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