भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से अचानक इस्तीफा देकर देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है।
राष्ट्रपति ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।
2022 में भारत ने अपने 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में जगदीप धनखड़ का स्वागत किया था।
एक अनुभवी वकील, पूर्व केंद्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में काम कर चुके धनखड़ को भाजपा और एनडीए का पूर्ण समर्थन प्राप्त था। उन्होंने उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराकर बड़ी जीत दर्ज की थी।
धनखड़ अपने साफ़ और सख़्त रवैये, संविधान की गहरी समझ और संसदीय कार्यवाही में अनुशासन के लिए जाने जाते थे।राज्यसभा के सभापति के रूप में उन्होंने कई बार विपक्ष और सरकार के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की थी।
उपराष्ट्रपति के रूप में योगदान
अपने कार्यकाल के दौरान जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा में एक नए प्रकार की सख़्ती और स्पष्टता लाने की कोशिश की।
उन्होंने कई बार विपक्ष और सरकार के बीच टकराव की स्थितियों में संतुलन बनाए रखा।
उनकी कार्यशैली जहां एक ओर सत्ताधारी पक्ष के लिए लाभकारी रही, वहीं विपक्ष ने कभी-कभी उन्हें पक्षपातपूर्ण रवैये के लिए आलोचना का पात्र भी बनाया।
पर कुल मिलाकर, वे एक कड़ा लेकिन न्यायप्रिय चेहरा बनकर उभरे।
अचानक इस्तीफा – देश स्तब्ध!
देश को उस समय गहरा झटका लगा जब राष्ट्रपति भवन से यह आधिकारिक सूचना आई कि "उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, और राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।"
यह केवल एक संवैधानिक बदलाव नहीं था, बल्कि एक राजनीतिक भूकंप था।
देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का इस प्रकार अचानक इस्तीफा देना अभूतपूर्व है। इससे पहले केवल कुछ ही उपराष्ट्रपतियों ने कार्यकाल पूरा होने से पहले पद छोड़ा है — और तब भी स्पष्ट कारण सार्वजनिक थे।
आखिर क्यों दिया इस्तीफा?
अब तक की जानकारी के अनुसार, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अपने इस्तीफे का कोई सार्वजनिक कारण नहीं बताया है। लेकिन सूत्रों के अनुसार निम्न संभावनाएं चर्चा में हैं:
- व्यक्तिगत या स्वास्थ्य संबंधी कारण
- सरकार से विचारधारा या नीतियों पर मतभेद
- भविष्य में कोई बड़ा राजनीतिक या संवैधानिक पद लेने की तैयारी
- या शायद कोई निजी निर्णय
कई विश्लेषक यह भी मानते हैं कि वे राष्ट्रपति पद की दौड़ में हो सकते हैं, या उन्हें किसी अंतरराष्ट्रीय भूमिका में भेजे जाने की संभावना है।
संवैधानिक प्रक्रिया और अगला कदम
भारत के संविधान के अनुच्छेद 67(b) के तहत, उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को इस्तीफा देते हैं। इस्तीफा स्वीकार होने के बाद वह पद से मुक्त माने जाते हैं।
अब, नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जो 90 दिनों के भीतर पूरी करनी होती है। तब तक राज्यसभा की कार्यवाही वरिष्ठ सदस्य या उपसभापति द्वारा संचालित की जा सकती है।
संसद और राजनीतिक गलियारों में हलचल
इस इस्तीफे ने संसद की कार्यवाही को झकझोर कर रख दिया है।
जैसे ही इस्तीफे की खबर सामने आई, संसद में चर्चा और बहस का दौर तेज हो गया।
विपक्ष ने सरकार से स्पष्टता की मांग की है, वहीं सत्तारूढ़ पार्टी इस पर फिलहाल शांत है। कई सांसदों ने इसे संवैधानिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत गंभीर मसला बताया है।
विपक्ष ने इसे 'लोकतंत्र में अस्थिरता की प्रतीक घटना' बताया है, वहीं सत्ता पक्ष ने इसे "व्यक्तिगत निर्णय" कहकर टाल दिया।
नेताओं की प्रतिक्रियाएं:
- राहुल गांधी: “धनखड़ जी का इस्तीफा साफ संकेत है कि सब कुछ ठीक नहीं है…”
- अमित शाह: “धनखड़ जी ने जो योगदान दिया, वह हमेशा याद रखा जाएगा। यह उनका निजी निर्णय है।”
जनता की प्रतिक्रिया: सोशल मीडिया पर बहस गरम
X (Twitter), Facebook, और YouTube पर #DhankharResigns ट्रेंड कर रहा है।
लाखों लोग पूछ रहे हैं:
- “क्या हुआ ऐसा जो इस्तीफा देना पड़ा?”
- “क्या वे अगला राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं?”
- “भारत के लोकतंत्र में क्या कुछ बड़ा बदलने वाला है?”
क्या ये सिर्फ़ इस्तीफा है या एक नई शुरुआत?
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा केवल एक संवैधानिक खबर नहीं है — यह एक संकेत है उस उथल-पुथल का जो भारतीय राजनीति में आने वाली है।
क्या यह एक शांत विदाई थी या एक नए अध्याय की शुरुआत — यह आने वाला समय बताएगा।
यह घटना हमें बताती है कि राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा, और क्या इस फैसले से देश की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव आने वाला है?